Geeta Jayanti on 23rd December, lesson of lord krishna in hindi, how to get peace of mind and success, krishna and arjun story in hindi | भ्रम में फंसे अर्जुन को श्रीकृष्ण की सीख, सुख-शांति और सफलता चाहते हैं तो काम अधूरे मन और भ्रम के साथ न करें

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2 घंटे पहले

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इस साल गीता जयंती यानी अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी दो दिन रहेगी। एकादशी शुक्रवार, 22 दिसंबर की सुबह 9.21 बजे से शुरू होगी। इसके बाद ये तिथि 23 दिसंबर की सुबह 7.41 पर खत्म हो जाएगी। दो दिन एकादशी तिथि होने से इसकी तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, 23 दिसंबर को सूर्योदय के समय एकादशी तिथि रहेगी, इस वजह से 23 को ये व्रत करना और गीता जयंती मनाना ज्यादा शुभ रहेगा। शास्त्रों की मान्यता है कि सूर्योदय के समय जो तिथि रहती है, वही पूरे दिन मान्य होती है। गीता जयंती पर श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करना चाहिए या सुनना चाहिए। श्रीकृष्ण की छोटी-छोटी कथाएं पढ़-सुन सकते हैं। श्रीकृष्ण की कथाओं में सुख-शांति और सफलता पाने के सूत्र छिपे होते हैं। इन सूत्रों को जीवन में उतारने से हमारी सभी समस्याएं खत्म हो सकती हैं। यहां जानिए श्रीकृष्ण और अर्जुन का एक ऐसा किस्सा, जिसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भ्रम से बचने की सलाह दी है।

महाभारत युद्ध की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडव पक्ष की सेनाएं आमने-सामने खड़ी थीं। संख्या और शक्ति के हिसाब से कौरवों की सेना ज्यादा अच्छी दिख रही थी।

जब अर्जुन ने कौरव पक्ष में अपने परिवार, कुटुंब के लोगों को देखा तो वे भ्रमित हो गए। अर्जुन ने अपने सारथी यानी श्रीकृष्ण से रथ को दोनों सेनाओं के बीच में ले जाने के लिए कहा।

श्रीकृष्ण रथ लोग युद्ध मैदान के बीच में ले गए। वहां पहुंचकर अर्जुन ने भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य जैसे यौद्धाओं को देखा। इन सभी को देखकर अर्जुन ने युद्ध करने का विचार ही छोड़ दिया और अपने धनुष-बाण नीचे रख दिए।

अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा कि मेरे कुटुंब के सभी लोग मेरे सामने खड़े हैं, मैं उनसे युद्ध नहीं कर सकता।

श्रीकृष्ण समझ गए कि अर्जुन भ्रम में फंस गए हैं। उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। भगवान ने समझाया कि जब लक्ष्य बड़ा हो तो सभी बातें चल सकती हैं, लेकिन भ्रम नहीं चल सकता है। तुम्हें अपने सारे भ्रम छोड़कर सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए। जब हम अपने काम अधूरे मन और भ्रम के साथ करते हैं तो सफलता नहीं मिलती है।

श्रीकृष्ण की सीख – सफलता चाहते हैं तो सभी भ्रम दूर करते हुए, अपने काम पूरे मन से और एकाग्रता के साथ करना चाहिए।

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