Chaitra is the first month of Hindi calendar, chaitra month significance, chaitra navratri 2024 | हिन्दी पंचांग का पहला महीना है चैत्र: अब मौसम बदलेगा और गर्मी बढ़ने लगेगी, चैत्र मास में अच्छी सेहत के लिए करें जीवन शैली में बदलाव

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4 घंटे पहले

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अभी चैत्र मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। ये महीना 23 अप्रैल तक चलेगा। चैत्र अमावस्या (8, अप्रैल) के बाद अगले दिन यानी 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है। 9 तारीख से ही हिन्दी पंचांग का नववर्ष नवंसवत् 2081 शुरू हो जाएगा। ये महीना सेहत के नजरिए से बहुत खास है, क्योंकि इन दिनों में ठंड खत्म हो रही है और अब गर्मी बढ़ने लगेगी।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चैत्र माह में खानपान और जीवन शैली मौसम के हिसाब से बदलाव करने चाहिए। ऋतु परिवर्तन के समय में मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं। इन दिनों में सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान के बाद पूजा-पाठ और कुछ देर मेडिटेशन भी जरूर करना चाहिए।

धर्म और सेहत से जुड़े चैत्र मास के व्रत-पर्व

चैत्र मास में शीतला माता के लिए शीतला सप्तमी (1 अप्रैल) और अष्टमी (2 अप्रैल) का व्रत-उपवास किया जाता है। इस व्रत में ठंडा खाना खाने की परंपरा है। जो लोग ये व्रत करते हैं, वे एक दिन पहले बनाया हुआ खाना ही खाते हैं। ये व्रत धर्म के साथ ही हमारी सेहत से भी जुड़ा है। अब ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इस दौरान मौसमी बीमारियां बढ़ जाती हैं। शीतला सप्तमी और अष्टमी पर ठंडा खाना खाने से हमें मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। ऐसी मान्यता है।

9 अप्रैल से चैत्र मास की नवरात्रि शुरू हो रही है। चैत्र नवरात्रि में किए गए व्रत, पूजा-पाठ और ध्यान से सेहत को लाभ मिलते हैं। मौसम परिवर्तन के समय खानपान से जुड़ा संयम रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है। चैत्र नवरात्रि के व्रत में हम अन्न का त्याग करते हैं और फलों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करते हैं। फलों की वजह से हमें ऊर्जा मिलती रहती है और हम पूजा-पाठ के साथ ही अन्य जरूरी काम भी कर पाते हैं। काफी लोग चैत्र नवरात्रि में नीम की कोमल पत्तियों सेवन भी करते हैं। ऐसा करने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।

चैत्र मास में ऐसे कर सकते हैं ध्यान

चैत्र मास में पूजा-पाठ के साथ ही ध्यान भी करेंगे तो नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलेगी। सोच-समझने की शक्ति बढ़ेगी और एकाग्रता बनी रहेगी। ध्यान करने के लिए घर में किसी ऐसी जगह का चयन करें, जहां शांति हो। आसन बिछाकर सुखासन में बैठ जाए। आंखें बंद करके अपना पूरा ध्यान दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र पर लगाएं। सांस लेने की गति सामान्य रखें। ध्यान करते समय सोच-विचार नहीं करना चाहिए।

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