Hindola darshan should be done on Holi, hindola making method, holika dahan on 24th March 2024 | होली पर करना चाहिए हिंडोला दर्शन: जानिए फाल्गुन पूर्णिमा पर कैसे बना सकते हैं भगवान हिंडोला, किन-किन चीजों की होती है जरूरत

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49 मिनट पहले

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इस साल 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 25 मार्च को होली खेली जाएगी। होलिका दहन यानी फाल्गुन पूर्णिमा तिथि से जुड़ी कई परंपरा है। इस दिन होलिका की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और देवी लक्ष्मी का अभिषेक किया जाता है। शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जाता है। इन दिन दान-पुण्य करने की और नदी स्नान करने की भी परंपरा है। इन शुभ कामों के साथ ही फाल्गुन पूर्णिमा पर हिंडोला दर्शन करने का विशेष महत्व है। जानिए हिंडोला कैसा बना सकते हैं और इसके लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शास्त्रों में हिंडोला दर्शन का महत्व काफी अधिक बताया गया है। माना जाता है कि जो लोग फाल्गुन पूर्णिमा पर हिंडोला दर्शन करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं भगवान पूरी करते हैं। शास्त्रों में लिखा है कि-

फाल्गुनस्य तु राकायां मण्डयेद्दोलमण्डपम्।

पश्चातसिंहासनं पुष्पैर्नूतनैर्वस्त्रचित्रकै:।।

अर्थ – फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा की रात सुंदर फूलों से सजे हुए झूले पर नए वस्त्र पहने हुए भगवान को विराजमान किया जाता है। इसके बाद पूजा-पाठ के साथ उत्सव मनाया जाता है। इसको ही हिंडोला दर्शन कहा जाता है।

हिंडोला बनाने के लिए जरूरी चीजें और हिंडोला बनाने की विधि

  • हिंडोला बनाने के लिए एक छोटा सा झूला बनाएं या बाल गोपाल के लिए झूला बाजार से खरीदकर भी ला सकते हैं। झूले को सुंदर फूलों से सजाएं।
  • बाल गोपाल को विराजित करने के लिए झूले में आसन बनाएं।
  • भगवान का अभिषेक करके नए लाल-पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं। इसके बाद भगवान की मूर्ति झूले में बने आसन पर विराजित करें।
  • धूप-दीप जलाकर भगवान की आरती करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। भगवान को फूल अर्पित करें।
  • इस तरह पूजा करने के बाद होली उत्सव मनाएं। एक-दूसरे पर फूल और गुलाल उड़ाएं।

फाल्गुन पूर्णिमा पर करें पितरों के लिए श्राद्ध कर्म

फाल्गुन पूर्णिमा पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि इस तिथि पर किए गए श्राद्ध, तर्पण, धूप-ध्यान से घर-परिवार के पितर देवता बहुत प्रसन्न होते हैं। पितर देवता घर-परिवार के मृत सदस्यों को कहा जाता है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान भी करना चाहिए।

फाल्गुन पूर्णिमा और होली से जुड़ी अन्य मान्यताएं

भविष्य पुराण के अनुसार नारद जी के कहने पर युधिष्ठिर ने फाल्गुन पूर्णिमा पर कई बंदियों को अभयदान दिया था। बंदियों को मुक्त करने के बाद कंडे जलाकर होली मनाई गई थी।

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