Two days of worship of Sheetala Devi: Sheetala Saptami on 1st April and Ashtami on 2nd, the goddess will be offered stale food on both days. | शीतला देवी की पूजा के दो दिन: 1अप्रैल को शीतला सप्तमी और 2 को अष्टमी, दोनों ही दिन देवी को लगेगा बासी खाने का भोग

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13 मिनट पहले

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होली के बाद चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष के सातवें और आठवें दिन शीतला माता की पूजा होती है। इन्हें शीतला सप्तमी और शीतलाष्टमी कहा जाता है।

मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में ये व्रत खासतौर से किया जाता है। इनमें कुछ जगहों पर शीतला माता की पूजा होली के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार या गुरुवार को होती है।

शीतला माता की पूजा का जिक्र स्कंद पुराण में मिलता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक इनकी पूजा और व्रत से चेचक के साथ अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है।

शीतला सप्तमी और अष्टमी
शीतला माता की पूजा चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को और कुछ जगह अष्टमी पर होती है। इस बार ये तिथियां 1 और 2 अप्रैल को रहेंगी। सप्तमी के स्वामी सूर्य और अष्टमी के देवता शिव होते हैं। दोनों उग्र शक्ति होने से इन तिथियों में शीतला माता की पूजा की हो सकती है।
निर्णय सिंधु ग्रंथ के मुताबिक जिस तारीख को सूर्योदय के वक्त सप्तमी-अष्टमी हो उस दिन व्रत और पूजा होती है, इसलिए सप्तमी की पूजा सोमवार को और शीतलाष्टमी मंगलवार को मनेगी।

बीमारियों से बचने के लिए व्रत
माना जाता है कि देवी शीतला चेचक और खसरा जैसी बीमारियों को नियंत्रित करती हैं और लोग उन बीमारियों को दूर करने के लिए उनकी पूजा करते हैं।

गुजरात में, कृष्ण जन्माष्टमी से ठीक एक दिन पहले बसोड़ा जैसा ही अनुष्ठान किया जाता है और इसे शीतला सातम के नाम से जाना जाता है। ये भी देवी शीतला को समर्पित है और शीतला सप्तमी के दिन ताजा खाना नहीं बनाया जाता है।

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